शरीर में कोई सुंदरता नहीं होती है ,सुन्दर होते है तो, केवल मनुष्य के कर्म ,विचार , वाणी ,व्यवहार ,संस्कार और उसका चरित्र |
दुआ या बद्दुआ किसी के बोलने से नहीं किन्तु खुद के व्यवहार और कर्म से मिलती है इसलिए हमारा व्यवहार और कर्म सदा सुखदाई हो तो दुआए स्वत: मिलती रहेगी | Bk Shivani
यह संसार कर्मक्षेत्र है , और मानव का जन्म कर्म करने, हेतु हुआ है। Swami Paramhans
अप्राकृतिक कर्म बहुत , तनाव पैदा करता है I Shrimad Bhagwad Gita