कभी भी क्रोध से बात नहीं करनी चाहिए जितना हो, सके प्यार से कार्य करो |
जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप से नहीं कह सकता उसी को क्रोध अधिक आता है | Bk Shivani
क्रोध में भी शब्दों का चुनाव ऐसे कीजिए कि जब गुस्सा उतरे तो खुद की नजरों में शर्मिंदा ना होना पड़े।
हम सबको मिलकर सृष्टि की इस हवा को बदलकर शुद्ध तथा आस -पास के वातावरण को पवित्र बनाने के लिए पॉंच विकारो - काम ,क्रोध ,लोभ ,मोह ,अहंकार को छोड़कर | सात गुणों - पवित्रता ,शांति ,शक्ति प्यार ,ख़ुशी ,ज्ञान और गंभीरता को अपनाना होगा | Bk Shivani
उपवास हमेशा अन्न का ही क्यों , कभी लालच ,निंदा ,लोभ क्रोध , काम ,झूठ ,लोभ और कुविचार का भी करना चाहिए | Bk Shivani
जब हम किसी से नफरत ईर्ष्या,क्रोध करते हैं, तो मन की खुशी गायब हो जाती है। Bk Shivani
कार्य कर लेने के बाद, जिसका एहसास होता है, वह है क्रोध। OSHO
जो पत्नी हर समय क्रोध करती रहे, उसे त्याग देना ही सुखकर है। Chankya
आपकी मुस्कुराहट आपके चेहरे पर , भगवान के हस्ताक्षर हैं, अपने आंसुओं से उसे धुलने या क्रोध से मिटने ना दें। Bk Shivani
किसी का खराब काम देखकर क्रोध आना मामूली बात है लेकिन क्रोध के बजाय दुआ निकलना महान आत्मा के लक्षण हैं I BK Shivani
मनुष्य सुबह से शाम तक काम करके , उतना नही थकता है , जितना क्रोध और चिंता से एक क्षण में, ही थक जाता है I BK SHIVANI'
क्रोध और गुस्सा इन्सान को, तभी आता है जब वह अपने आपको, कमजोर और हारा हुआ मान लेता है I BK SHIVANI
नर्क के तीन द्वार हैं : वासना, क्रोध और लालच I Shrimad Bhagwad Gita
क्रोध से भ्रम पैदा होता है , भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है, जब बुद्धि व्यग्र होती है , तब तर्क नष्ट हो जाता है , जब तर्क नष्ट होता है , तब व्यक्ति का पतन हो जाता है I Shrimad Bhagwad Gita