|चाँद से रोशन हो रमजान तुम्हारा, इबादत से भरा हो रोज़ा तुम्हारा, हर रोज़ा और नमाज़ कबूल हो तुम्हारी, यही अल्लाह से है दुआ हमारी |
नज़र का चैन दिल का सरूर होते हैं, कुछ ऐसे लोग जहाँ में जरूर होते हैं, सदा चमकता रहे ये ईद का तयौहार, करीब रह के भी हम से जो दूर होते हैं |
'दीपक में अगर नूर ना होता, तन्हा दिल यूँ मजबूर ना होता, मैं आपको ईद मुबारक कहने जरूर आता, अगर आपका घर इतना दूर ना होता, ईद मुबारक |'