अपने पराये , घर - बार और शहर तक छूट गया | वो जो देखा था प्यार का सपना आज टूट गया |
नाम रोशन हो गया दीवानों में तेरा, मेरा। कुछ इतने चर्चे शहर में, हमारे प्यार के हुए |
पत्थरों के शहर में फरियाद क्या, करें? जो भूल गई हमें अब उसे, याद क्या करें।
किस पर अब यकीन हम करें ए, सनम इस शहर का हर शख्स, प्यार से अंजाना है।
चलो अब मिल जाए सब पहरे तोड़कर आओ कहीं दूर चले, यह शहर छोड़ कर।