सामजिक

सामजिक

आपकी ज्यादातर इच्छाएं वास्तव,
में आपकी नहीं होतीं,
आप बस उन्हें अपने सामजिक,
परिवेश से उठा लेते हैं।

शरीर

शरीर

शरीर, वास्तव में, केवल एक ,
क्षणिक अस्तित्व है। 
अब शरीर मौजूद है ,
और अब यह नहीं है।
एकमात्र भगवान ही असली हैं।
Swami Paramhans