भयमुक्त जीवन ही मानव मस्तिष्क, की अव्यक्त अभिलाषा है। Milten
क्रोध की आंधी क्रोधी मानव को, एक तिनके के समान अपने, अधीन रखती है। William Shakespeare
यह संसार कर्मक्षेत्र है , और मानव का जन्म कर्म करने, हेतु हुआ है। Swami Paramhans