प्रशंसा को वीरता के कार्यों, की सुगंध ही समझिए | Socrates
फूल की सुगंध वायु के विपरीत कभी, नहीं जाती परंतु मानव के सद्गुण की महक सब, तरफ फैल जाती है। Lord Buddha
नाम में कुछ नहीं रखा , यदि आप गुलाब के, फूल को किसी और नाम से पुकारेंगे तो , वो वैसी ही सुगंध देगा जैसी उसकी सुगंध हैं | William Shakespeare