जो भी चीज़ आपको परेशान करती है ,वास्तव में वह आपकी है ही नहीं ऐसी वस्तु का त्याग कर देना ही समझदारी है | Bk Shivani
आपकी ज्यादातर इच्छाएं वास्तव, में आपकी नहीं होतीं, आप बस उन्हें अपने सामजिक, परिवेश से उठा लेते हैं।
शरीर, वास्तव में, केवल एक , क्षणिक अस्तित्व है। अब शरीर मौजूद है , और अब यह नहीं है। एकमात्र भगवान ही असली हैं। Swami Paramhans