भयमुक्त जीवन ही मानव मस्तिष्क, की अव्यक्त अभिलाषा है। Milten
कामना से दुख आता है , दुख से भय आता है और जो, इच्छाओं से मुक्त है , वह ने दुख जानता है , ना ही भय। Lord Buddha
जहाँ देह है वहाँ कर्म तो है ही , उससे कोई मुक्त नहीं है | तथापि शरीर को प्रभुमंदिर बनाकर उसके द्वारा मुक्ति प्राप्त करनी चाहिए | Mahatma Gandhi
सकरात्मक सोच से व्यक्ति , सदा तनाव से , मुक्त होकर प्रसन्नचित रहता है I BK SHIVANI
हम अपने जीवन में जो चाहते है , उसे चुनने के लिए मुक्त है , लेकिन उसके परिणाम से , कभी मुक्त नही हो सकते है I Amitabh Bachchan