बारिश का ये बादल तो , बस बरसने मैं ही दीवाना है , क्या जाने, किस राह से बचना है , ओर किस छत को भिगोना है |
बरसात आज आई तो , याद आया वो जमाना, तेरा वो छत पे खड़े रहना, और मेरा सडको पे नहाना |