मर जाने की ख्वाइश को मैं कुछ इस, कदर मारा करता हूँ, दिल के जहर को मैं कागज पर, उतरा करता हूँ।
ख्वाइश तो ना थी, किसी से दिल , लगाने की पर, किस्मत में दर्द, लिखा हो तो, मोहब्बत कैसे ना, होती |