ख्वाइश

ख्वाइश

मर जाने की ख्वाइश को मैं कुछ इस,
कदर मारा करता हूँ,
दिल के जहर को मैं कागज पर,
उतरा करता हूँ।

ख्वाइश तो ना थी,

ख्वाइश तो ना थी,

ख्वाइश तो ना थी,
किसी से दिल
, लगाने की पर,
किस्मत में दर्द,
लिखा हो तो,
मोहब्बत कैसे ना,
होती |