Soch

Soch

"सोच"
दुखी होना वो भी एक सोच से होता है ,
सुखी होना वो भी एक सोच से होता है |
तो सोच ही दुःख है ,
सोच ही सुख है ,
सोच ही मन के घाव है ,सोच ही मलहम है |

Humara

Humara

यदि हमारा पैर फिसल
जाए तो हम संभल सकते हैं
परंतु जुबान फिसल जाए
यह गहरा घाव कर देती है।